मर्ज़  तो  लाइलाज  है  वरना।

क्यों ये कहता न  हुस्न पर मरना।।


दिल ही पहुंचा है खुदकुशी करने

कितना बोला था प्यार मत करना।।


मकतबे इश्क का सबक पहला

हुस्न वालों की जात से डरना।।

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