तुम्हें ही ऑक्सीजन चाहिए क्या।

कि इक तुमको ही जीवन चाहिए क्या।।


मुसलसल पेड़ काटे जा रहे हो

तुम्हें कंक्रीट का वन चाहिए क्या।।


कभी देखो तो उपवन का भरम हो

तुम्हें इक ऐसा  दरपन चाहिए क्या।।


दवा भी और चिकित्सा कक्ष सघन भी

तुम्हें ही सारे साधन चाहिए क्या।।


अभी तुम ठीक हो तो क्यों रुके हो

मरीजों वाला वाहन चाहिए क्या।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है