हम मीलों दूर निकल आये

हासिल दो चार  कदम था बस।

हम भटके ख़ुद की लाश लिये

जीना भी एक वहम था बस।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा