क्यों न ये राह अख्तियार करें।

जितना कर पायें ख़ुद से प्यार करें।।


दूसरों पर भले भरोसा है

अपनी हस्ती पे एतबार करें।।


सब ये कहते हैं अब सुधर जाओ

बिगड़े कब थे जो अब सुधार करें।।


कैसा लोनिक है सबको खुश रखें

अपनी खुशियों का इंतज़ार करें।।


अपनी तस्वीर भी बदल डालें

पहले चलकर ज़रा सिंगार करे।।


साहनी सुरेश

9451545132

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है