प्यार दुनिया है रज़्म है दुनिया।
हद से बढ़कर तिलस्म है दुनिया।।
इसमें सख्ती गुलों के जैसी है
खार जैसी ही नर्म है दुनिया।।
भीड़ के लोग कितने तन्हा है
क्या खलाओं की बज़्म है दुनिया।।
कैसे कह दें वो इस ज़हां से है
उसकी मुझमें ही ख़त्म है दुनिया।।
सिरफिरा है अदीब कहता है
बस ग़ज़ल और नज़्म है दुनिया।।
सुरेश साहनी अदीब
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