समूचा तंत्र ही बीमार है क्या।

व्यवस्था इस क़दर लाचार है क्या।।


सभी खबरें तो छन के आ रही हैं

तो फिर अख़बार भी अख़बार है क्या।।


हमारे मुल्क में सब बादशा हैं

तुम्हारे मुल्क़ में सरकार है क्या।।


कोरोना घुस गया है जेहनियत में

तुम्हारे पास कुछ उपचार है क्या।।


ज़माना है तुम्हारा  कह रहे हो

तुम्हारा भी कोई अगियार है क्या।।


वफ़ा होना तो नामुमकिन है फिर भी

कोई वादा नया तैयार है क्या।।


यकीं है सबको उसके झूठ पर भी

कोई उससे बड़ा फ़नकार है क्या।।


तुम्हें मैं कम सुनाई दे रहा हूँ

हमारे बीच इक दीवार है क्या।।


भला क्यों शाह घबराता है इतना

जुबानें हैं कोई तलवार है क्या।।


सुरेश साहनी, कानपुर वाले

9451545132

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