तुम्हारे साथ गुजरा कल कहाँ है।
मिले थे जब वो पहला पल कहाँ है।।
बिछाया था मेरी राहों में जिसको
तुम्हारा रेशमी आँचल कहाँ है।।
बचाता था हमें जो बदनजर से
तुम्हारी आँख का काजल कहाँ है।।
चलो माना बहुत मेहनत की तुमने
तुम्हारी कोशिशों का हल कहाँ है।।
नदी नाले नहीं गंगा दिखाओ
बताना फिर कि गंगाजल कहाँ है।।
तुम्हे पूजा तुम्हे चाहा है लेकिन
बताओं प्यार का प्रतिफल कहाँ है।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
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