आप यूँ ही तो नहीं चहके थे।
जो गुलाबों की तरह दहके थे।।
हमने माना है खता भौरे की
कुछ तो गुल के भी कदम बहके थे।।
रात कुछ नींद भी बेहतर आई
ख़्वाब जो गुल की तरह महके थे।।
कल मैं गुलशन में नमूदार हुआ
तुम जो कोयल की तरह कुहके थे।।
तुमने आबाद कर दिया वरना
हम बियावान की तरह के थे।।
साहनी सुरेश कानपुर वाले
9451545132
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