चलो करें जी भर कर बातें।
अपने दिन हैं अपनी रातें।।
जीत गए हम लेकर फेरे
कैसी शह अब कैसी मातें।।
चाँद हमारे पहलू में हैं
तारे तो हम तोड़ न पाते।।
तुम हो तो यह जीवन भी है
तुम बिन जीते जी मर जाते।।
मेरे गीत अधूरे रहते
तेरे होठ अगर न गाते।।
सारी ऋतुएँ अपनी ही हैं
सर्दी गर्मी या बरसातें।।
Comments
Post a Comment