कोरोना कईले बाटे परेशान सँवरु।

हउवें देशवा के लोग हैरान सँवरु।।

गइल अषाढ़  सवन ऋतु आइल

सजना के सुधि आ सनेस ना सुनाईल

एमें बरखा के बुन्नी लगे बान सँवरु।।

देवरा से कइसे डिसटेन्स हम बनाई

घर में ना रहीं बोलीं कहाँ चलि जाई

रउवा कहतीं त दे देती परान सँवरु।।

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