बंगले से इक चिराग निकाला गया तो क्यों।

फिर रोशनी के घर से उजाला गया तो क्यों।।


मालूम था सभी को ये काटेगा एक दिन

फिर आस्तीं में सांप को पाला गया तो क्यों।।


यदि आप कह रहे हैं कि खुशहाल मुल्क़ है

छिन मुफ़लिसों के मुँह से निवाला गया तो क्यों।।


कोरोना में चुनाव कराए थे किसलिए

बच्चों के इम्तेहान को टाला गया तो क्यों।। 


थे मौन जब कि बेटा मनोनीत था हुआ

संसद में रामदीन का साला गया तो क्यों।। 


संसद में चोर क्यों गए इसका नहीं मलाल

है दुख कि खेत जोतने वाला गया तो क्यों।।


दावा था उनका मुल्क़ में आएंगे अच्छे दिन

उनसे न ये निज़ाम सम्हाला गया तो क्यों।।


सुरेश साहनी, kanpur

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