लोग मन मे लिए डर पीते हैं।
हम तो हँस हँस के ज़हर पीते हैं।।
तब हमें होश कहाँ रहता है
उनकी आंखों से अगर पीते हैं।।
आप मे आग है रहने दीजै
हम भी शोला ओ शरर पीते हैं।।
हम कहाँ पीते हैं पीने वाले
रात दिन शामो-सहर पीते हैं।।
शेख है ख़ौफ़े ख़ुदा से तिशना
हम तो रखते हैं ज़िगर पीते हैं।।
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