सच से आँख चुराएं कैसे।

अन्तस् से बिक जाएं कैसे।।


कुछ सुविधाओं के एवज में 

ग़ैरत से गिर जायें कैसे।।


नोटों में बिकने वालों से

अपने वोट बचायें कैसे।।


नारी गृह में नेता सोचे

अपनी हवस मिटायें कैसे।।


मंत्री जी की गिद्ध नज़र से

बचे भला बालायें कैसे।।


बन्धक अपने खेत पड़े हैं

घर रेहन रख आएं कैसे।।।


कोरे भाषण से क्या होगा

बच्चों को समझाए कैसे।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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