अर्श तक नज़रे-दूरबीन भी रख।
और पैरों तले ज़मीन भी रख।।
सांप हों या न हो गुरेज नहीं
बाँह रखता है आस्तीन भी रख।।
ख़ूब सबका ख़याल रखता है
अपने बारे में छानबीन भी रख।।
तू मदारी है जान ले मंतर
साथ अपने तमाशबीन भी रख।।
फर्क क्या है शहर हो या जंगल
पालना साँप है तो बीन भी रख।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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