जिस मुहब्बत से पास आये थे

उस मुहब्बत को भूल बैठे हो।

तुम हमारी वफ़ा के आदी थे

ऐसी आदत को भूल बैठे हो।।

मयकशी से था एतराज किसे

मयकशी तो तुम्हारा शौक रहा

प्यार करना तुम्हारी फितरत थी

अपनी फ़ितरत को भूल बैठे हो।।

लौट आओ कि उन पलों में चले

जो तेरी क़ुर्बतों में गुज़रे हैं

कैसी ज़हां में पहुँच गए हो तुम

अपनी जन्नत को भूल बैठे हो।।

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