कद को लेकर बौने खूब झगड़ते हैं

ऐसा करने से वे कितना बढ़ते हैं।।


अच्छे घोड़े कब नखरे दिखलाते हैं

बेदम घोड़े ही राहों में अड़ते हैं।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है