कन्दील उसने सिर्फ़ जलाए तो इसलिए

क़िरदार उसके चाँद का मद्धम लगा उसे।।

सूरज भी उसके वक़्त का कुछ कम लगा उसे।।

दिन में भी जैसे रात का आलम लगा उसे।।

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