ज़हाँ अदब भी सियासत की बात करता है।

कोई तो है जो मोहब्बत की बात करता है।।

सभी शुमार हैं फिरका परस्तियों में  जब

ये कौन मुल्क़ की मिल्लत की बात करता है।।

ख़ुदा की नेमतों का शुक्रिया तो करता चल

क्यों वाहियात क़यामत की बात करता है।।

वतन से बढ़के कोई भी ज़हाँ हसीन नहीं

तू हमसे कौन से जन्नत की बात करता है।।

सुरेश साहनी कानपुर

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