फिर मेरे शौक कसमसाये हैं।

फिर हमे आप याद आये हैं।।


उसके लब पर कोई गजल होगी

फिर मेरे होठ थरथराये हैं।।


ये शबे-वस्ल अब मुकम्मल हो

बाद मुद्दत क़रीब आये हैं।।


मुस्करा कर सवाल करता है

आपने दिल पे जख़्म खाये हैं।।


चाँद क्यों आज गैरहाजिर है

चांदनी ने सवाल उठाये हैं।।


जिंदगी तुझ से तो उम्मीद नहीं

ख़्वाब उनको करीब लाये हैं।।


फिर जवां हसरतें लरजती हैं

फिर उम्मीदों के पंख आये हैं।।

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