मयपरस्ती से कीजिये तौबा।
और फिर कह के पीजिये तौबा।।
कौन मुल्ला की फ़िक्र करता है
गर ख़ुदा कह दे कीजिये तौबा।।
करके वादा वफ़ा नहीं करते
शौक़ से उनको भेजिये तौबा।
इक दफ़ा होठ से लगा लीजै
और फिर कर के देखिये तौबा।।
चीज़ यह भी ख़ुदा की नेमत है
शुक्रिया कह के लीजिये तौबा।।
सुरेश साहनी कानपुर
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