है मगर कंदील जैसा दिल नहीं।

झील होकर झील जैसा दिल नहीं।।

क्या किसी को रास्ता दिखलाओगे

तुममें संगे-मील जैसा दिल नहीं।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है