उन नैनों में झूल गया फिर।
इश्क कहां स्कूल गया फिर।।
स्मृत थीं कितनी गाथाएं
आज स्वयं को भूल गया फिर।।
इश्क़ गोपियों को देकर वह
कब कालिन्दी कूल गया फिर।।
एक फूल लेने आया था
देकर कितने शूल गया फिर।।
पनघट से प्यासा लौटा मैं
मिलना आज फिजूल गया फिर।।
उन नैनों में झूल गया फिर।
इश्क कहां स्कूल गया फिर।।
स्मृत थीं कितनी गाथाएं
आज स्वयं को भूल गया फिर।।
इश्क़ गोपियों को देकर वह
कब कालिन्दी कूल गया फिर।।
एक फूल लेने आया था
देकर कितने शूल गया फिर।।
पनघट से प्यासा लौटा मैं
मिलना आज फिजूल गया फिर।।
Comments
Post a Comment