और कितना गिरोगे यार!कभी इस मंदिर कभी उस मंदिर कभी धन्ना सेठों के चरणों मे कभी धर्म के ठेकेदारों की दहलीज पर।इतना मत गिरो कि लोग तुम्हें उठाने में शर्माने लग जाएं।गिरते तुम हो भाव पेट्रोल के बढ़ते हैं।आग महंगाई को लगती है।ओले गरीब के सर पड़ते हैं।

ऐसे ही गिरते रहे तो एक दिन तुम्हारी स्थिति दलितों की दशा से भी गयी गुज़री हो जाएगी। तुमने रूबल का हश्र तो देखा ही है।खैर तब तुमने रूस की इज़्ज़त बचाई थी।लेकिन अब वो ज़माना नहीं रहा। पश्चिमी सभ्यता के डॉलर तुम्हें छोड़कर निकल लेंगे।पौंड की हालत वैसे भी खराब है।यूरो भी घर का झगड़ा निपटाने में लगा है। तुम भी ब्रिटेन के राजा की तरह पायजामे में रहो।

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