ना पूछो जिंदगी अपनी गंवाई किस तरह मैंने।

कमाई किस तरह मैंने लुटाई किस तरह मैंने।।


सहारा खलवतों में थी तुम्हारी याद की चादर

सुनोगे किस तरह ओढ़ी बिछाई किस तरह मैंने।।

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