ख़ुद से आगे निकल रहे हो तुम।

सच कहो किस को छल रहे हो तुम।।


लोग  कपड़े  बदल  नहीं  पाते

जैसे तेवर बदल रहे हो तुम ।।


सूं ए मंजिल न जायेगी हरगिज

राह जिस पर कि चल रहे हो तुम।।


आने वाली है शब ठहर जाओ

अल सुबह क्यों मचल रहे हो तुम।।


कल भी अपना ही कल रहोगे प्रिय

कल भी अपना ही कल रहे हो तुम।।


सुरेश साहनी कानपुर

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