चलो पुनः श्रृंगार लिखें प्रिय!
मिलन लिखें अभिसार लिखें प्रिय!!!!
दुनियादारी में क्या उलझे
हम अपनी सुध भूल गए थे
घर परिवार भरण पोषण में
झंझाओं में झूल गए थे
चलो मुक्ति की युक्ति करें प्रिय!
मुग्ध हृदय से प्यार लिखें प्रिय!!!!
औ,फिर हममें अनबन है क्या
तुम बिन जीवन जीवन है क्या
वैसे भी प्रेमी जीवन मे
शर्तों पर गठबंधन है क्या
हम बंधन पर वार लिए प्रिय
तुम पर खुद को वार लिखें प्रिय!!!
वैसे भी हम जनम जनम से
एक दूसरे की थाती हैं
अंधकार से भरे लोक में
मैं और तुम दीया बाती हैं
अंधकार को दूर करें प्रिय!
जीवन में उजियार लिखें प्रिय!!!
सुरेशसाहनी
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