हमें तुमको मनाना चाहिए था ।

तुम्हे भी मान जाना चाहिए था।।

हमारी जान जाने से बची है

तुम्हे भी यूँ न जाना चाहिए था।

जरा सी उम्र है इस चार दिन को

हमें संग संग बिताना चाहिए था।।

हमारे प्यार में क्या क्या कमी थी

तुम्हे कुछ तो बताना चाहिए था।।

अगर शक़ था तुम्हे मेरी वफ़ा पर

यकीनन आज़माना चाहिए था।।

जरा सी बात दिल पर बोझ क्यों है

उसी पल भूल जाना चाहिए था।।

सुरेशसाहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है