मयकदे में भी रहा शेखो-बरहमन आदमी

बेख़ुदी में  होश रहना मयकशी में कुफ़्र है।।SS

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है