शिक्षा अब व्यापार बन गयी।

बढ़िया कारोबार बन गयी।।

नेता जी हंस कर कहते है

शिक्षा कब अधिकार बन गयी।।


विद्यालय में अनुशासन है

स्टेटस सिम्बल फैशन है

फीस समय पर भारी भरकम

सेशन है कन्वरसेशन है


कमर झुकी जाती बच्चों की

शिक्षा जैसे भार बन गयी।। शिक्षा अब


शिक्षक अपनी मर्यादा को

दायित्वों को भूल चुके हैं

कोचिंग में मेहनत करते हैं

वेतन इधर वसूल चुके हैं


नैतिकता सिखलाने वालों 

की अनीति व्यवहार बन गयी।।

सुरेशसाहनी

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