इस तरह अजदाद के किस्से कहानी भूलकर

खो गए मशरिक़ में हम अपनी निशानी भूलकर

हम गुलामी से बचे लेकिन गुलामी ओढ़ ली

सीख ली   अंग्रेजियत हिन्दोस्तानी भूलकर।।

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