आज तक सबने सुनाई जानी पहचानी ग़ज़ल।

रूप की रानी ग़ज़ल है हुस्न के मानी ग़ज़ल।।

साहनी तन्हा जिये हैं ज़िन्दगी तो फिर किसे

आज हम जाकर सुना देते बियावानी ग़ज़ल।।

दरदेदिल के वास्ते यारों ने नुस्खे भी पढ़े

कोई लुकमानी ग़ज़ल  कोई सुलेमानी ग़ज़ल।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है