मैं विद्रोही स्वर का कवि हूँ
क्यों अगवानी के गीत लिखूं।।
सदियों ने भट गायन कर कर
सच से समाज को दूर किया
कायर शाहों को शूर कहा
यूँ जनमानस को सूर किया
क्या मैं भी भट गायक बन कर
राजा रानी के गीत लिखूं।।मैं विद्रोही....
क्यों कर हूणों ने भारत को
दशको दशको आक्रांत किया
कैसे यवनों ने सदियों तक
आधा भारत भयक्रांत किया
कैसे गजनी की सोमनाथ पर
मनमानी के गीत लिखूं।।मै विद्रोही.....
आखिर दिल्ली के शूरवीर
क्यों सोमनाथ पर नहीं लड़े
कैसे मुट्ठी भर मुगल यहां
थे चार सदी तक रहे चढ़े
चारण गीतों से अच्छा है
मैं जन वाणी के गीत लिखूं।।मैं विद्रोही.....
***सुरेशसाहनी, कानपुर***
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