बता दो मेरा जनाज़ा है ये बरात नहीं।
हमें पता है वो रूठे है कोई बात नहीं।।
सुनहरी धूप खिली है हमारे मर्ग के रोज़
वफ़ा के वास्ते इस से सियाह रात नहीं।।
तुम्हारे ग़म अगरचे साथ हैं तो ग़म क्या है
कि चंद खुशियां लुटी हैं कोई हयात नहीं।।
बता दो मेरा जनाज़ा है ये बरात नहीं।
हमें पता है वो रूठे है कोई बात नहीं।।
सुनहरी धूप खिली है हमारे मर्ग के रोज़
वफ़ा के वास्ते इस से सियाह रात नहीं।।
तुम्हारे ग़म अगरचे साथ हैं तो ग़म क्या है
कि चंद खुशियां लुटी हैं कोई हयात नहीं।।
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