मेरे लब पे परीशां हो के देखो।
मेरी आँखों में ख़ुद को खो के देखो।।
तमन्नाओं के दीये जल उठेंगे
हमारा ख़्वाब इक संजो के देखो।।
तुम्हे रोने में भी तस्कीन होगी
कभी गैरों के ग़म में रो के देखो।।
जहाँ पर ख्वाहिशें दम तोड़ती है
वहीँ पर ख्वाहिशें कुछ बो के देखो।।
मेरी आँखों में सपने तैरते हैं
मेरे ख्वाबों में एक दिन सो के देखो।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
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