वो नाज़ों में पला लगे है।
फूलों फूलों चला लगे है।।
यार अगर रूठा रूठा हो
ऐसे में क्या भला लगे है।।
जिसने इश्क़ किया ना होगा
इश्क़ उसी को बला लगे हैं।।
पर उसकी नज़रें हैं चंचल
कभी कभी मनचला लगे है।।
रीझ गया है मन क्यों उस पर
यह भी कुछ बावला लगे है।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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