हमें उनसे मुहब्बत भी बहुत है।

वही जिनसे शिकायत भी बहुत है ।।

झिझकता हूं कि वो नाराज ना हों

वो मिलते हैं ये रहमत भी बहुत है।।

बला की तिश्नगी है उन लबों पे

उन्हीं होठों में शरबत भी बहुत है।।

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