बस्ती बस्ती ढूंढ रहा था

गिरि वन गह्वर ढूँढ़ रहा हूँ।

पोखर नदिया ताल तलैया

सात समंदर ढूँढ़ रहा हूँ।।

कुछ लासानी रिश्तों के भी सानी मिलने के भ्रम में

अपने अन्तस् की चीजों को

बाहर बाहर ढूंढ रहा हूँ।।

रूहानी रिश्तों को जिस्मों में पाने की कोशिश में

तुम भी बाहर भटक रहे हो

मैं भी बाहर ढूंढ रहा हूँ।।

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