जिस तुलना में काम बढ़े हैं
महँगाई और दाम बढ़े हैं
श्रम का मूल्य बढ़ा दो मालिक!!
नदियां सिमटी पेड़ कट गए
बारिश के आवर्त घट गये
मौसम भी प्रतिकूल हो गए
ऐसे में तुम भी पलट गए
माना तुम मानव हो मालिक
हम को पशु मत समझो मालिक
मानव धर्म निभा दो मालिक!!
श्रम का मूल्य बढ़ा दो मालिक।।
जब जब हुए चुनाव देश में
जागे सेवा भाव देश में
ऐसा लगने लगा हमें अब
नहीं रहा अलगाव देश में
तुम जैसे आदर्श दिखे थे
तुममे अपने दर्श दिखे थे
फिर वह रूप दिखा दो मालिक!!
वाज़िब हक दिलवा दो मालिक!!!
देश बढ़ा हम पीछे क्यों हैं
पहले से भी नीचे क्यों हैं
तुम फकीर हो सौ करोड़ के
हम मेहनतकश नँगे क्यों हैं
हम धरती पर सोएं मालिक
आसमान ही ओढ़ें मालिक
गोली मत चलवाना मालिक!!
तुम उपवास न रखना मालिक!!
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