आज मुझे हमराह बना लो।
अपने दिल का शाह बना लो।।
तुम दुनिया की चाहत होगी
मुझको अपनी चाह बना लो।।
शाम सवेरे आते जाते
सोते जगते पीते खाते
एक तमन्ना तुम जो मिलते
तुमसे दिल की बात बताते
जिन राहों पर चली प्रियतमें
इन नयनों से उन्हें बुहारा
किंचित तुम मेरे नयनों से
मेरे दिल की राह बना लो.......
बेशक राह निहारी प्रियतम
उम्मीदें कब हारी प्रियतम
एक न एक दिन मधुर मिलन की
रही प्रतीक्षा जारी प्रियतम
आज साधना का फल दे कर
मेरी उलझन का हल दे कर
मेरी आकुलता को प्रियतम
तुम अपनी अकुलाह बना लो......
दुष्कर पंथ सहज होगा प्रिय
अपना साथ सुखद होगा प्रिय
नीम नीम सा नीरस जीवन
अपने साथ शहद होगा प्रिय
कर दो मनोकामना पूरी
आओ भाल करें सिंदूरी
दे दो हाथ मेरे हाथों में
मुझको अपनी बांह बना लो.......
सुरेश साहनी कानपुर
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