मेरे एक परिचित को कही से ज्ञान प्राप्त हो गया।उन्होंने अपनी पूजा पद्धति बदल ली।मंदिर की बजाय चर्च जाने लगे।राम राम की जगह जय मसीह बोलने लग गए। यही नहीं उनके साथ ही उनकी पत्नी और बच्चों को भी दिव्य ज्ञान मिल गया।अब घर के अंदर इनका परिवार प्रभु पुत्र यीशु को पूजने लगा ,जबकि इनके भाई और माँ काली के साथ आधा दर्जन देवी देवताओ को धुप दीप दिखाते थे। धीरे धीरे सास बहु में तकरार बढ़ने लगी।और एकदिन बहू ने सास को घऱ से निकाल दिया।सास यानि परिचित सज्जन की माँ एक मंदिर के सामने भिक्षा मांग कर जीवन यापन करती हैं ,यद्यपि वे संपन्न हैं ।उक्त परिचित सज्जन भी अपने आप को preist या पादरी कहने लगे।हिन्दू पौराणिक कहानियों का मजाक उड़ाकर यीशु के गुणगान करने लगे।मुझे पक्का यकीन अब भी है कि स्वयं प्रभु यीशु ऐसे कृत्य को पसंद नहीं करेंगे।
इक दिन उनकी माँ की स्थिति पर तरस खाकर कुछ मित्रों ने पुलिस के पास जाने का सुझाव दिया।किन्तु हाय रे माँ का दिल!!!!माँ ने पुलिस के पास जाने से यहकर मना कर दिया कि "ऐसा करने से उसके बेटे की नौकरी चली जायेगी।मैं भूखे रह सकती हूँ किन्तु पुत्र को तकलीफ में नहीं देख सकती।
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