आज सुबह तो मोतीझील से लेकर पूरे विकास प्राधिकरण परिसर में रौनक पसरी थी।वैसे एक दिन पहले से योग की स्वनामधन्य संस्थाएं और योगकर्मी प्रचार प्रसार में सक्रिय थे।मुझे ये आयोजन वगैरा बड़े ज़हमत वाले काम लगते हैं।लेकिन ज़रूरी भी हैं। फिर आज तो विश्व योग दिवस अर्थात योगा डे है।
खैर रॉयल क्लिफ चौराहे पर कुछ हलचल सी लगी।हम उधर बढ़ लिए।आयोजक संख्या बढ़ाने के जुगाड़ में एक रिक्शे वाले को समझा रहे थे।आओ योगा करो।तुम बड़े भग्यशाली हो जो आज योगा का मौका मिल रहा है ।एक टीशर्ट भी मिलेगी। रिक्शे वाला बोला ,"हमका टी बरेड दिला देओ हम बइठ जाते हैं।मुला हमे करना का है?
उस कार्यकर्ता ने समझाया, पेट अंदर करना है । रिक्शे वाला चिढ सा गया।बोला ,अरें साहब!हमारा पेट तो पहिले से अंदर है। खाये का मिले तब तौ पेट बाहर आवे।"
खैर मुझे ड्यूटी भी जाना था।मैं तेजी से आगे बढ़ गया।
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