कितनी मशक्कत से 

अपनों को दूर कर के

कितनी सहजता से

जुटाई थी यह भीड़

एक छोटे से घर में जिसमें

पूरा परिवार रहता था

अम्मा बाबूजी , हम दोनों 

और हमारे बच्चे 

भरपूर जगह थी 

किसे पता था कि ये टीवी

मोबाइल ,वाशिंग मशीन, एसी, फ़्रिज

और ढेर सारी सुख सुविधाये

जुटाने की अंधी दौड़

एक दिन तन्हाई का वायज़ बन जायेंगी।

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