इधर सजने संवरने लग गए हो।

किसी से प्यार करने लग गए हो।।


किसे तुम मार देना चाहते हो

बताओ किसपे मरने लग गए हो।।


किसे तुमने गिराया है नजर से

जो शीशे में उतरने लग गए हो।।


नहीं आसार अच्छे लग रहे हैं

इधर से फिर गुजरने लग गए हो।।


बचाना दाग से दामन मेरी जां

फजाओं  में बिखरने लग गए हो।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है