हाल न पूछो बद हो बेहतर।
आखिर क्या होगा कह सुनकर।।
कुछ लेना है सीधे बोलो
क्यों कहते हो बात घुमाकर।।
मेरा बढ़ना क्या बढ़ना है
घर की मुर्गी दाल बराबर।।
छोड़ो भूली बिसरी बातें
क्या मिलना है याद दिलाकर।।
बातें उसकी दीन धरम की
नज़र टिकी है पैमाने पर।।
सुरेशसाहनी
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