माजी छोड़ें मुस्तकबिल की ओर चलें।
इस पड़ाव से उस मंज़िल की ओर चलें।।
अपने दिल से उसकी यादें दूर करें
उसके दिल से अपने दिल की ओर चलें।।
मांझी भाग गया तो कोई बात नहीं
किश्ती लेकर ख़ुद साहिल की ओर चलें।।
कातिल खंजर लेकर खाक डराएगा
मरना सीखें खुद कातिल की ओर चले।।
क्यों सोचें क्यों माथा पकड़ें हम अपना
खुशी मनाने अब हासिल की ओर चलें।।
सुरेश साहनी कानपुर
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