तुम जो मिलते तो तुमको समझाते।

झूठ  हैं  प्यार  वार  के  नाते ।।


तुम मुझे याद तो नहीं करते

तुम मुझे भूल क्यों नहीं जाते।।


जिस्म किसको दिया नहीं मालूम

दिल उसी को ही जाके दे आते।।


तुम मिलोगे यकीं नहीं फिर भी

तुम जो मिलते तो खूब बतियाते।।


तुम तो मतले से खूबसूरत थे

काश हम तुमको गुनगुना पाते।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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