किसी का दर्द बांटो खुश रहोगे।
ज़हाँ में प्यार बांटो खुश रहोगे।।
दुकानों में न ढूंढ़ो रंज़ होगा
ये अपनों में तलाशो खुश रहोगे।।
यही अज़दाद अपनी मिल्कियत है
इन्हीं के पाँव दाबो खुश रहोगे।।
शहर की भीड़ से कुछ रोज हटके
ज़रा अपनों में पहुंचो खुश रहोगे।।
न पीटो ढोल अपनी नेकियों के
करो फिर भूल जाओ खुश रहोगे।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
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