आप चिंता कर रहे बेकार में।

जबकि सब कुछ ठीक है अख़बार में।।

कुछ न होगा चीखिये चिल्लाईये 

या कि सर दे मारिये दीवार में।।

मेरे नेता जी बड़े हुशियार हैं

हों कहीं मंत्री रहे सरकार में।।

बेचिए या आप ही बिक जाईये

बीच का रस्ता नहीं बाज़ार में।।

दाम, रिश्वत ,ब्रोकरी कल्चर में है

अब नहीं आते ये भ्रष्टाचार में।।

मुल्क के हालात पर मत रोइये

और भी ग़म है यहाँ संसार मे।।

सत्य नैतिकता यहाँ मत ढूंढिए

ये पड़े होंगे कहीं भंगार में।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है