चलो दुश्वारियां के हल तलाशें।

भले छोटी खुशी के पल तलाशें ।।


तुम्हें भी छूट जाना है किसी दिन

तुम्हें फिर किसलिए हर पल तलाशें।।


बियावानी शहर में कम नहीं है

बताओ किसलिए जंगल तलाशें।।


भरोसा आसमानों पर न रक्खें

जमीं पर क्यों न इक अफ़ज़ल तलाशें।।


न जा पाओगे माजी के सहन में

जो आए वो सुनहरा कल तलाशें।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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