जिसे अखरता हूँ मैं खूब अखरने दो।

नफ़रत वो करते हैं उनको करने दो।।


जो जैसा करता है वैसा भरने दो।

अपनी अपनी मौत सभी को मरने दो।।


पशुवत जीना ही यदि इनकी नियति है

क्या बदलोगे इनको यूँ ही चरने दो।।


क्या बिल्ली माटी का चूहा खाती हैं

तो चूहों को ही मूरत से डरने दो।।


ज्ञान उन्हें जन्नत से बाहर कर देगा

ऐसा है तो सबको अनपढ़ रहने दो।।


मज़हब वाले लोग अदूँ क्यों रहते हैं

खैर वो जैसे हैं वैसे ही रहने दो।।

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